और औरत भी तभी तक खिली रहती है जब तक पिता के आँगन मे है. और औरत भी तभी तक खिली रहती है जब तक पिता के आँगन मे है.
ढल जाती है हर सांचे में ऐसी मुलायम मिट्टी है। ढल जाती है हर सांचे में ऐसी मुलायम मिट्टी है।
जानवर इंसान बन गया या जानवर में इसान जिंदा हो रहा। जानवर इंसान बन गया या जानवर में इसान जिंदा हो रहा।
औरत औरत
मैं जानती हूँ ज़ेवरों से लदी उस औरत को वह सजी धजी रहती है जेवरों में हर दिन! मैं जानती हूँ ज़ेवरों से लदी उस औरत को वह सजी धजी रहती है जेवरों में हर दिन!
आखिर क्यों? आखिर क्यों?